बेटी को क्यों नही हक़ है इस दुनिया मैं जीने का
बेटा तथा बेटी मे क्यों फर्क किया जाता है | बेटा भी हँसता है तथा बैटी भी , बेटा भी रोता है ,बैटी भी
बेटा नाम रोशन करता है ,तो बैटी भी तो नाम रोशन करती है अपने माँ बाप का ।
तो फिर क्यों बेटी को बैटे का दरजा नही दिया जाता है।क्यों उस बेटी को दहेज के खातिर जला दिया जाता है।
क्यों आज बैटी को इस दुनिया मे ही नही आने दिया जाता है । दुनिया में आने से पहले ही उसे क्यों मार् दिया जाता है।क्या बिगाड़ा हैं उस नन्हीं सी जान ने किसी का ।
गलती सब से होती है पर बेटा गलती करे तो कुछ नही ओर बैटी छोटी से गलती भी कर दे दो ,तो उससे कई बार जीने का हक़ छीन लिया जाता है ।
अगर बैटी नही रही तो रक्षाबन्धन के दिन कोन भाई के राखी बान्देेगी।तथा कौन भाई कहकर भुलायेंगे ।
कौन पत्नी बनेगी ।
बैटी से ही सारे रिश्ते बनते हैं।
बैटी दो घरो के रिश्ते निभाती है।
बेटा तथा बेटी मे क्यों फर्क किया जाता है | बेटा भी हँसता है तथा बैटी भी , बेटा भी रोता है ,बैटी भी
बेटा नाम रोशन करता है ,तो बैटी भी तो नाम रोशन करती है अपने माँ बाप का ।
तो फिर क्यों बेटी को बैटे का दरजा नही दिया जाता है।क्यों उस बेटी को दहेज के खातिर जला दिया जाता है।
क्यों आज बैटी को इस दुनिया मे ही नही आने दिया जाता है । दुनिया में आने से पहले ही उसे क्यों मार् दिया जाता है।क्या बिगाड़ा हैं उस नन्हीं सी जान ने किसी का ।
गलती सब से होती है पर बेटा गलती करे तो कुछ नही ओर बैटी छोटी से गलती भी कर दे दो ,तो उससे कई बार जीने का हक़ छीन लिया जाता है ।
अगर बैटी नही रही तो रक्षाबन्धन के दिन कोन भाई के राखी बान्देेगी।तथा कौन भाई कहकर भुलायेंगे ।
कौन पत्नी बनेगी ।
बैटी से ही सारे रिश्ते बनते हैं।
बैटी दो घरो के रिश्ते निभाती है।
राधेकृष्णा
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