नारी पर बढ़ता अत्याचार
नारी वह सर्वशक्तिमान मूरत है ।जो पुरे ब्रह्रमांड में फैली हुई है नारी में सहन शक्ति एक व्रक्ष के समान है ।जिस प्रकार एक पेड़ हर मौसम परिवर्तन को सहन करता है चाहे गर्मी हो या सर्दी या तूफान आए वो सब कुछ सहन करता है फिर भी हम सबको छाया ,फल तथा हवा देता है ।हर कठिनाइयो का सामना करता है उसी प्रकार नारी भी सब कुछ सहन करती है तथा हमेशा दुसरो की ख़ुशी में कुछ रहती है ।
फिर भी आज नारी पर अत्याचार बढ़ता ही जा रहा है, और कोई उसका साथ नही देता तथा आज ऐसे मुकदमे बहुत सामने आ रहे है ।जैसे दहेज में जलती माँ ,बहन,बहु बैटी तथा बलात्कार , आदि
देश का कानून भी सुनवाई नही करता है अदिकांश ऐसा देखा जाता है ।कब नारी की रक्षा होगी ।ये सब सदियो से चला आ रहा है आज तो ये जुल्म बहुत ही बड रहा है।
जब नारी बालरूप में धरती पर जन्म लेती है तभी से उसके जीवन में संघर्ष करना शुरू हो जाता है ।जब लड़की अपने मली रूपी माँ बाप के यहा फलना फूलना शुरू होती है तब से उसे संघर्ष करना पड़ता है हमेशा से लड़की को पैरो तले दबाया जाता है अगर कुछ बोलती है तो उसकी आवाज बन्द कर देते है अगर अन्याय के खिलाफ लड़ती है तो बहुत मुस्कुलो का सामना करना पड़ता है उसे अकेले ही चलना पड़ता है खुद अकेली लड़ती है तो भी बहुत रुकावटे डालते है लोग ।
कहा जाता है की नारी को माँ दुर्गा का रूप है पर
एक तरफ तो नवरात्रो में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है और दूसरी तरफ अपनी माँ ,बहन,बहु,बैटी पर अत्याचार किया जाता है तो आपकी दिखावटी पूजा अर्चना का कोई मतलब नही है ।
एक तरफ और कहा जाता है की समाज में लड़की को देवी दुर्गा ,सरस्वती,लक्ष्मी ,काली कहकर पूजा करते है ।एक तरफ लड़की के साथ जबरदस्ती करके उसे समाज में अपमानित किया जाता है उसकी गलती नही होने पर भी उसे ही आरोपी साबित किया जाता है । फिर भी वह अपने अंदर की शक्ति को जगाकर माँ काली प्रचन्डनी का रूप् धरकर संघार करती है ।
जब एक बैटी अपने माँ बाप रूपी के बगीचे को छोड़कर दूसरे बगीचे में जाती है तब वह सभी रिश्तों को निभाते हुए आगे बढ़ती है फिर भी उसे कोई नही समझता है और उसे नीचे की और गिराया जाता है ।नारी वह शीतलता की पौधा है जो सारे कष्ट सहकर भी सारे रिश्तों प्रेम से निभाती है और कभी बहन तो कभी माँ और भी बहु , बैटी बनती है ।जब वो माँ का किरदार निभाती है तब वो सारी तकलीफो को सहन करते हुए आगे बढ़ती है तथा वो इतना टूट जाती है फिर भी हार नही मानती है हर मुश्किल का सामना करती है ।कही माँ की ममता के छाव के आँचल में अपने बच्चे को सुलाती है तथा उसे पाल पोष कर बड़ा करती है वो भूखी रह जायेगी पर हमे खाना खिलायेगी ।पर आज अफ़सोस होता है ये कहते हुए की बदले में हमने क्या दिया ...............
सिर्फ दुःख तकलीफ तथा उसकी बदनामी और उसकी कमजोरी का फायदा उठाया ।
इतना कुछ होने के बावजूत भी नारी हार नही मानती है ,अपने अधिकार वह सम्मान के लिए स्वयं लड़ती है,
आज हम देख ही रहे है की हर क्षेत्र में नारी पुरुषो के साथ कन्दे से कंदा मिलाकर चल रही हैजैसे आर्मी पुलिस ,टीचर ,राजनीती में ,डॉक्टर आदि फिर भी उन्ही को कलंकित किया जाता है
क्या इन सब में कोई परिवर्तन होगा या नही
क्या नारियो को उनका अधिकार तथा समाज में सम्मान मिलेगा ------कोई आवाज उठाएगा नारियो के मान सम्मान के लिए ...........
कहा जाता है की एक लड़का पढ़ता है तो वो ही आगे बढ़ता है ।पर एक लड़की पढ़ती है तो दो घरो को पढ़ाती है ।
शास्त्रो में लिखा है की जहा नारियो का सम्मान होता है वहा देवता निवास करते है।
राधे कृष्णा
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फिर भी आज नारी पर अत्याचार बढ़ता ही जा रहा है, और कोई उसका साथ नही देता तथा आज ऐसे मुकदमे बहुत सामने आ रहे है ।जैसे दहेज में जलती माँ ,बहन,बहु बैटी तथा बलात्कार , आदि
देश का कानून भी सुनवाई नही करता है अदिकांश ऐसा देखा जाता है ।कब नारी की रक्षा होगी ।ये सब सदियो से चला आ रहा है आज तो ये जुल्म बहुत ही बड रहा है।
जब नारी बालरूप में धरती पर जन्म लेती है तभी से उसके जीवन में संघर्ष करना शुरू हो जाता है ।जब लड़की अपने मली रूपी माँ बाप के यहा फलना फूलना शुरू होती है तब से उसे संघर्ष करना पड़ता है हमेशा से लड़की को पैरो तले दबाया जाता है अगर कुछ बोलती है तो उसकी आवाज बन्द कर देते है अगर अन्याय के खिलाफ लड़ती है तो बहुत मुस्कुलो का सामना करना पड़ता है उसे अकेले ही चलना पड़ता है खुद अकेली लड़ती है तो भी बहुत रुकावटे डालते है लोग ।
कहा जाता है की नारी को माँ दुर्गा का रूप है पर
एक तरफ तो नवरात्रो में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है और दूसरी तरफ अपनी माँ ,बहन,बहु,बैटी पर अत्याचार किया जाता है तो आपकी दिखावटी पूजा अर्चना का कोई मतलब नही है ।
एक तरफ और कहा जाता है की समाज में लड़की को देवी दुर्गा ,सरस्वती,लक्ष्मी ,काली कहकर पूजा करते है ।एक तरफ लड़की के साथ जबरदस्ती करके उसे समाज में अपमानित किया जाता है उसकी गलती नही होने पर भी उसे ही आरोपी साबित किया जाता है । फिर भी वह अपने अंदर की शक्ति को जगाकर माँ काली प्रचन्डनी का रूप् धरकर संघार करती है ।
जब एक बैटी अपने माँ बाप रूपी के बगीचे को छोड़कर दूसरे बगीचे में जाती है तब वह सभी रिश्तों को निभाते हुए आगे बढ़ती है फिर भी उसे कोई नही समझता है और उसे नीचे की और गिराया जाता है ।नारी वह शीतलता की पौधा है जो सारे कष्ट सहकर भी सारे रिश्तों प्रेम से निभाती है और कभी बहन तो कभी माँ और भी बहु , बैटी बनती है ।जब वो माँ का किरदार निभाती है तब वो सारी तकलीफो को सहन करते हुए आगे बढ़ती है तथा वो इतना टूट जाती है फिर भी हार नही मानती है हर मुश्किल का सामना करती है ।कही माँ की ममता के छाव के आँचल में अपने बच्चे को सुलाती है तथा उसे पाल पोष कर बड़ा करती है वो भूखी रह जायेगी पर हमे खाना खिलायेगी ।पर आज अफ़सोस होता है ये कहते हुए की बदले में हमने क्या दिया ...............
इतना कुछ होने के बावजूत भी नारी हार नही मानती है ,अपने अधिकार वह सम्मान के लिए स्वयं लड़ती है,
आज हम देख ही रहे है की हर क्षेत्र में नारी पुरुषो के साथ कन्दे से कंदा मिलाकर चल रही हैजैसे आर्मी पुलिस ,टीचर ,राजनीती में ,डॉक्टर आदि फिर भी उन्ही को कलंकित किया जाता है
क्या इन सब में कोई परिवर्तन होगा या नही
क्या नारियो को उनका अधिकार तथा समाज में सम्मान मिलेगा ------कोई आवाज उठाएगा नारियो के मान सम्मान के लिए ...........
कहा जाता है की एक लड़का पढ़ता है तो वो ही आगे बढ़ता है ।पर एक लड़की पढ़ती है तो दो घरो को पढ़ाती है ।
शास्त्रो में लिखा है की जहा नारियो का सम्मान होता है वहा देवता निवास करते है।
राधे कृष्णा
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