१३० \८० से उप्र ऊपर का रक्तचाप ,उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन कहलाता है।
इसका अर्थ है की धमनियों में उच्च चाप (तनाव ) है। उच्च रक्त चाप का अर्थ यह नाकि है कि अत्यधिक भावनात्कम तनाव हो। भावनात्मक तनाव व दबाव अस्थायी तौर पर रक्त के दब को बढ़ा देते है।
सामान्यतः रक्तचाप 120 /80 से काम होनी चाहिए। उच्च रक्त चाप से ह्रदय रोग , गुर्दे की बीमारी , धमनियों का सख्त हो जाने, आँखे ख़राब होने और मस्तिष्क ख़राब होने का जोखिम बढ़ जाता है। युवाओ में ब्लडप्रेशर की समस्या का मुख्य कारण उनकी अनियमित जीवन शैली और गलत खान-पान होते है। यदि चक्कर आये,सर दर्द हो, साँस में तकलीफ हो , नींद न आये , शिथिलता रहे, कम मेहनत करने पर साँस पहले और नाक से खून गिरे इत्यादि तो चिकित्सक से कराये , संभव है ये उच्च रक्तचाप के कारण हो। उच्च रक्तचाप के कारणों में ;
चिंता , क्रोध, ईर्ष्या भय आदि मानसिक विकार कई बार , बार-बार या आवश्यकता से खाना।
मैदा से बने खाद्य , चीनी , मसाले, तेल-घी , आचार मिठाइया ,मांस ,चाय , सिगरेट , व शराब आदि का सेवन।
नियमित खाने में रेशे , कच्चे फल और सलाद आदि का अभाव।
श्रम हीन ज़ीवन, व्यायाम का अभाव।
पेट और पेशाब संबंधी पुरानी बीमारी।
उच्च रक्त चाप का निदान महत्वपूर्ण है जिससे रक्त चाप को सामान्य करके जटिलताओं को रोकने का प्रयास सम्भव हो। फार्मेकॉजी विभाग ,कोलोन विश्वविद्यालय ,जर्मनी में हुई एक शोध के अनुसार चॉकलेट खाने और काली व हरी चय पिने से रक्तचाप नियत्रण में रहता है। कनाडा के शोधकर्ताओं रॉस डी. फेल्ड्मैन के अनुसार उच्च रक्त चाप के रोगियों की विशेष देखभाल और जांच जरूरत होती है ,इससे दिल के दौरे की आशंका एक चौथाई कम हो सकती है वही मस्तिष्काघात की भी संभावना 40 प्रतिशत कम हो सकती है।
चिकित्सक के पास जांच हेतु पहुचने के बाद कम से कम पांच मिनट के लिए आराम करने के बाद ही अपना रक्तदाब दिखाए। लम्बा चलने के बाद ,सीढ़ियाँ चढ़ने ,दौड़ने -भागने के तुरंत बाद जांच करने पर रक्तदाब बढ़ा हुआ आता है। यह ध्यान रखना चाहिए की जांच के समय कुर्सी पर आराम से बैठे हो व पैर जमीन पर रखे हो,तथा बाह और रक्तदाब मापक -यंत्र हृदय जितनी ऊचाई पर होना चाहिए।
जांच के आधा घंटा पहले से चय ,कॉफी ,कोला ड्रिंक और ध्रूमपान नही पीना चाहिए। इनके सेवन से रक्तदाब अगले 15 से 20 मिनट के लिए बढ़ जाता है। रक्तदाब मापक - यंत्र के बाहर पर बंधे जानेवाले कफ की चौड़ाई बाह की मोटाई के अनुसार होनी चाहिए। कफ इतना चौड़ा हो की बाह का लगभग तीन - चौथाई घेरा उसमे आ जाए। बाह मोती होने पर साधारण कफ से रक्तदाब लेने पर ब्लड प्रेशर की रीडिंग बढ़ी हुई होगी। यदि बाह पतली और कफ बड़ा है तो ठीक उल्ट होगा ,रक्तदाब कम नपेगा। रक्तचाप मापने लिए हमेशा जांचा - परखा यंत्र ही प्रयोग लाएं।
कभी रक्तचाप थोड़ा बढ़ा हो , तो तुरंत दवा नही लेनी चाहिए। इससे पूर्व कुछ समय तक अपनी जीवन -शैली में बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए। इसका असर 3 महीने में दिखाई देगा। इसके लिए प्रथम तो भोजन में सोडियम मात्रा कम करनी चाहिए। सामान्यतः 10 ग्राम नमक लोग एक दिन में खाते है। इसे कम करके 3 ग्राम तक लाना चाहिए। नमकीन चीजे जैसे दालमोठ ,आचार।,पापड़ का पूर्णतः परहेज करे। शरीर में ज्यादा सोडियम होने से पानी का जमाव होता है जिससे रक्त आयतन बढ़ जाता है , जिसके कारण रक्तचाप बढ़ जाता है भोजन में पोटेशियम युक्त चीजे बढ़ाये जैसे ताजे फल ,डाब का पानी आदि। डिब्बे में बंद सामग्री का प्रयोग बंद कर दे भोजन में कैल्शियम जैसे दूध में और मैग्नेशियम की मात्रा संतुलित करनी चाहिए। रेशेयुक्त पदार्थो को खूब खाए ,जैसे फलो के छिलके। संतृप्त वसा (मांस, वनस्पति,घी )की मात्रा कम करनी चाहिए।
इसके साथ ही नियमित व्यायाम करना चाहिए खूब तेज लगातार 30 मिनट पैदल चलना सर्वोत्तम व्यायाम है। योगध्यान प्राणायाम रोज करना चाहिए। यदि धम्रपान करते हो तो बंद कर दे ,वजह संतुलित करना चाहिए। मदिरा पान का सेवन ना करे। ....
चिंता , क्रोध, ईर्ष्या भय आदि मानसिक विकार कई बार , बार-बार या आवश्यकता से खाना।
मैदा से बने खाद्य , चीनी , मसाले, तेल-घी , आचार मिठाइया ,मांस ,चाय , सिगरेट , व शराब आदि का सेवन।
नियमित खाने में रेशे , कच्चे फल और सलाद आदि का अभाव।
श्रम हीन ज़ीवन, व्यायाम का अभाव।
पेट और पेशाब संबंधी पुरानी बीमारी।
उच्च रक्त चाप का निदान महत्वपूर्ण है जिससे रक्त चाप को सामान्य करके जटिलताओं को रोकने का प्रयास सम्भव हो। फार्मेकॉजी विभाग ,कोलोन विश्वविद्यालय ,जर्मनी में हुई एक शोध के अनुसार चॉकलेट खाने और काली व हरी चय पिने से रक्तचाप नियत्रण में रहता है। कनाडा के शोधकर्ताओं रॉस डी. फेल्ड्मैन के अनुसार उच्च रक्त चाप के रोगियों की विशेष देखभाल और जांच जरूरत होती है ,इससे दिल के दौरे की आशंका एक चौथाई कम हो सकती है वही मस्तिष्काघात की भी संभावना 40 प्रतिशत कम हो सकती है।
चिकित्सक के पास जांच हेतु पहुचने के बाद कम से कम पांच मिनट के लिए आराम करने के बाद ही अपना रक्तदाब दिखाए। लम्बा चलने के बाद ,सीढ़ियाँ चढ़ने ,दौड़ने -भागने के तुरंत बाद जांच करने पर रक्तदाब बढ़ा हुआ आता है। यह ध्यान रखना चाहिए की जांच के समय कुर्सी पर आराम से बैठे हो व पैर जमीन पर रखे हो,तथा बाह और रक्तदाब मापक -यंत्र हृदय जितनी ऊचाई पर होना चाहिए।
जांच के आधा घंटा पहले से चय ,कॉफी ,कोला ड्रिंक और ध्रूमपान नही पीना चाहिए। इनके सेवन से रक्तदाब अगले 15 से 20 मिनट के लिए बढ़ जाता है। रक्तदाब मापक - यंत्र के बाहर पर बंधे जानेवाले कफ की चौड़ाई बाह की मोटाई के अनुसार होनी चाहिए। कफ इतना चौड़ा हो की बाह का लगभग तीन - चौथाई घेरा उसमे आ जाए। बाह मोती होने पर साधारण कफ से रक्तदाब लेने पर ब्लड प्रेशर की रीडिंग बढ़ी हुई होगी। यदि बाह पतली और कफ बड़ा है तो ठीक उल्ट होगा ,रक्तदाब कम नपेगा। रक्तचाप मापने लिए हमेशा जांचा - परखा यंत्र ही प्रयोग लाएं।
कभी रक्तचाप थोड़ा बढ़ा हो , तो तुरंत दवा नही लेनी चाहिए। इससे पूर्व कुछ समय तक अपनी जीवन -शैली में बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए। इसका असर 3 महीने में दिखाई देगा। इसके लिए प्रथम तो भोजन में सोडियम मात्रा कम करनी चाहिए। सामान्यतः 10 ग्राम नमक लोग एक दिन में खाते है। इसे कम करके 3 ग्राम तक लाना चाहिए। नमकीन चीजे जैसे दालमोठ ,आचार।,पापड़ का पूर्णतः परहेज करे। शरीर में ज्यादा सोडियम होने से पानी का जमाव होता है जिससे रक्त आयतन बढ़ जाता है , जिसके कारण रक्तचाप बढ़ जाता है भोजन में पोटेशियम युक्त चीजे बढ़ाये जैसे ताजे फल ,डाब का पानी आदि। डिब्बे में बंद सामग्री का प्रयोग बंद कर दे भोजन में कैल्शियम जैसे दूध में और मैग्नेशियम की मात्रा संतुलित करनी चाहिए। रेशेयुक्त पदार्थो को खूब खाए ,जैसे फलो के छिलके। संतृप्त वसा (मांस, वनस्पति,घी )की मात्रा कम करनी चाहिए।
इसके साथ ही नियमित व्यायाम करना चाहिए खूब तेज लगातार 30 मिनट पैदल चलना सर्वोत्तम व्यायाम है। योगध्यान प्राणायाम रोज करना चाहिए। यदि धम्रपान करते हो तो बंद कर दे ,वजह संतुलित करना चाहिए। मदिरा पान का सेवन ना करे। ....
राधे कृष्णा
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