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रविवार, 13 सितंबर 2015

शिवलिंग

शंख से नही चढ़ाते शिवलिंग 
पर जल ,आखिर  क्यों ?
पूजन कार्य में शंख का उपयोग महत्वपूर्ण होता है। लगभग सभी देवी - देवताओ को शंख से जल चढ़ाया जाता है। लेकिन शिवलिंग पर  शंख से जल वर्जित करना माना गया है। आखिर क्यों शिवजी को शंख से जल अर्पित  नहीं करते है ?
इस संबंध में शिवपुराण में एक कथा बताई गई है। 
शिवपुराण के अनुसार शंखचुड नाम का महापराक्रमी दैत्य हुआ। शंखचुड दैत्यराम दम्भ का पुत्र था। दैत्यराज दम्भ को जब बहुत समय तक कोई संतान उत्पन्न नहीं हुई तब उसने भगवान विष्णु के लिए कठिन तपस्या की। तप से उसने प्रसन्न होकर विष्णु भगवान प्रकट हुए। विष्णु जी ने वर मांगने के लिए कहा...........
तब दम्भ ने तीनो लोको के लिए अजेय एक महापराक्रमी पुत्र का वर माँगा। श्रीहरी तथास्तु बोलकर अंतरध्यान हो  गए। तब दम्भ ने तीनो के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम शंखचूड़ पड़ा। शंखचूड़ ने पुष्कर में ब्रह्राजी के निमित घोर तपस्या की और उन्हें प्रसन्न कर लिया। ब्रह्रा ने वार मांगने के लिए कहा तब शंखचूड़ ने वार माँगा की वो देवताओ के लिए अजेय हो जाये। ब्रह्रा जी ने तथास्तु बोला और उसे श्रीकृष्णकवच दिया ,साथ ही ब्रह्रा जी ने शंखचूड़ को धर्मध्वज की कन्या तुलसी से विवाह करने की आज्ञा दी फिर वे अंतर्ध्यान हो गए। 
ब्रह्रा जी की आज्ञा के अनुसार तुलसी और शंखचूड़ का विवाह हुआ। ब्रह्रा जी और विष्णु जी के वरदान के मद में चूर दैत्यराज शंखचूड़ ने तीनो लोको पर अपना स्वामित्व स्थापित कर लिया। देवताओ ने त्रस्त होकर विष्णु जी से   मदद मांगी परन्तु उन्होंने खुद दम्भ को ऐसे पुत्र  का वरदान दिया था ,अत: उन्होंने शिव जी से प्राथना की। तब   दुःख दूर करने का निश्चय किया और वे चल दिए। शिव जी ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया और उसकी हड्डियों से शंख का जन्म हुआ। क्योकि शंखचूड़ विष्णु जी का भक्त था ,अत: लक्ष्मी जी - विष्णु जी 
को शंख का जल अति प्रिय है और सभी देवताओ को शंख से जल चढ़ाने का विधान है परन्तु शिव जी ने चूँकि उसका वध किया था अत: शंख का जल शिव जी को निषेध बताया गया है। इसी वजह से शिव जी को शंख से 
 जल नही चढ़ाया जाता है। 
सत्यम शिवम सुंदरम 
शिव ही शक्ति ,शिव ही पूजा 
शिव से बड़ा ना कोई है दूजा ……… 
राधे श्याम

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