ऋषि पंचमी का व्रत
यह व्रत कैसे करे
तत्पश्चात निम्न मन्त्र से अर्घय दे -
सुविचार
जीवन सौन्दर्य से भरपूर है। इसे , महसूस करे, इसे पुरी तरह से जीए और अपने सपनो की पूर्ति के लिए पूरी कोशिश करे।
ब्रह्म पुराण के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पंचमी को सप्त ऋषि पूजन व्रत का विधान है। इस इस दिन चारो वर्ण की स्त्रियों को चाहिए क़ि वे यह व्रत करे। यह व्रत जाने-अनजाने हुए पापों के पक्षालन के लिए स्त्री तथा पुरुष को अवश्य करना चाहिए। इस दिन स्नानं करने का विशेष माहात्म्य है।
यह व्रत कैसे करे
प्रातः नदी आदि पर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहने।
तत्पश्चात घर में ही किसी पवित्र स्थान पर पृथ्वी को शुद्ध करके हल्दी से चौकर मंडल (चौक पुरे) बनाये। फिर उस पर सप्त ऋषियों की स्थापना करे।
इसके बाद गंध , पुष्प , धुप, दीप नैवेध आदि से सप्तर्षियों का पूजन करे।
तत्पश्चात निम्न मन्त्र से अर्घय दे -
"कश्यपोत्रिभ्ररव्दाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।
जमदग्निजमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृता :
दहन्तु पापं में सर्व गृह्रणन्तवर्घयं नमो नमः। ।"
अब व्रत कथा सुनकर आरती कर प्रसाद वितरित करे। तदप्रान्त आकृष्ट ( बिना बोई हुई ) पृथ्वी में पैदा हुए शकादि का आहार ले।
इस प्रकार सात वर्ष तक व्रत करके आठवे वर्ष में सप्त ऋषियों की सात मूर्तियां बनवाए।
तत्पश्चात कलश स्थापन करके यथाविधि पूजन करे। अंत में सात गोदान तथा सात युग्मक-ब्राह्राण भोजन करा कर उनका विसर्जन करे।
सुविचार
जीवन सौन्दर्य से भरपूर है। इसे , महसूस करे, इसे पुरी तरह से जीए और अपने सपनो की पूर्ति के लिए पूरी कोशिश करे।
राधे कृष्णा
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